जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया

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जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया?

जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया
जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया

यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्वर देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा

रोमियों 8:11

बाइबल में रोमियों 8:11 एक बहुत ही शक्तिशाली वचन है: “यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्वर देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा।” यह वचन मसीही जीवन के मूल सिद्धांतों में से एक है, जो हमें पवित्र आत्मा की सामर्थ्य और अनुग्रह के बारे में गहरा ज्ञान प्रदान करता है। इस वचन में आत्मिक पुनर्जीवन और अनन्त जीवन के बारे में अद्भुत आशा और भरोसे का संदेश है।

मरे हुओं में से पुनरुत्थान की शक्ति

इस वचन का मुख्य संदेश यह है कि वही आत्मा जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह हमारे जीवन में भी कार्य करता है। पवित्र आत्मा की वही शक्ति जो मसीह को कब्र से उठाने में सक्षम थी, वही शक्ति हमारे अंदर काम कर रही है। यह तथ्य हमारे लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद और सांत्वना है, क्योंकि यह दिखाता है कि हम केवल अपनी शारीरिक क्षमताओं पर निर्भर नहीं हैं। परमेश्वर ने अपनी पवित्र आत्मा को हमें सामर्थ्य देने के लिए हमारे भीतर रखा है, ताकि हम आत्मिक जीवन को जी सकें और सांसारिक बाधाओं से ऊपर उठ सकें।

यीशु मसीह का पुनरुत्थान मसीही विश्वास की नींव है। “परन्तु सचमुच मसीह मरे हुओं में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उनमें से पहला फल हुआ” (1 कुरिन्थियों 15:20)। इस पुनरुत्थान ने न केवल मसीह की विजय को दिखाया, बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि परमेश्वर की शक्ति मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकती है। जब हम इस वचन को समझते हैं, तो हम यह भी जानते हैं कि वही आत्मा जो मसीह को जिलाने में सामर्थ्यवान था, वह हमारे जीवनों में भी कार्य कर रहा है।

पवित्र आत्मा का निवास

इस वचन का दूसरा भाग कहता है, “यदि उसी का आत्मा… तुम में बसा हुआ है।” इसका तात्पर्य यह है कि जब हम यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं, तब पवित्र आत्मा हमारे अंदर निवास करने लगता है। यह आत्मा हमें मार्गदर्शन करता है, सिखाता है, और हमारी कमजोरियों में हमारी सहायता करता है। “क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारा शरीर पवित्र आत्मा का मन्दिर है, जो तुम में बसा हुआ है, और जो तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है?” (1 कुरिन्थियों 6:19)।

पवित्र आत्मा का हमारे भीतर निवास करना इस बात का प्रमाण है कि हम परमेश्वर के हैं। यह आत्मा हमें जीवन के हर पहलू में मदद करता है, चाहे वह पाप से लड़ने की बात हो या परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीने की बात हो। पवित्र आत्मा की उपस्थिति से हम आत्मिक दृष्टि से जागरूक होते हैं और परमेश्वर के साथ एक गहरे संबंध का अनुभव करते हैं।

नश्वर देहों का पुनर्जीवन

इस वचन में “नश्वर देहों को जिलाएगा” का आशय यह है कि जैसे यीशु मसीह मरे हुओं में से जी उठे, वैसे ही हमारे नश्वर शरीर भी पुनरुत्थान में बदल दिए जाएंगे। यह पुनरुत्थान केवल आत्मिक नहीं, बल्कि शारीरिक भी होगा। बाइबल हमें सिखाती है कि “मसीह में सब जीवित किए जाएंगे” (1 कुरिन्थियों 15:22)। मसीह की वापसी पर, पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे मृत शरीर अनन्त जीवन के लिए उठाए जाएंगे।

यह पुनरुत्थान मसीही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, जिसमें हम परमेश्वर के साथ अनन्तकाल तक रहेंगे। जब हम मृत्यु के बाद पुनरुत्थान के विषय में सोचते हैं, तो यह हमें जीवन की अस्थायी कठिनाइयों और कष्टों से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है। “यदि हम मसीह के साथ मरे हैं, तो हम विश्वास करते हैं कि हम उसके साथ जीवित भी होंगे” (रोमियों 6:8)।

आत्मिक और शारीरिक पुनरुत्थान की आशा

यह वचन मसीहियों को केवल शारीरिक पुनरुत्थान की आशा ही नहीं देता, बल्कि आत्मिक पुनरुत्थान की भी गारंटी देता है। जब हम मसीह में विश्वास करते हैं, तो हमारी आत्माएं भी पाप के बंधन से मुक्त हो जाती हैं और हम आत्मिक रूप से नए जीवन में प्रवेश करते हैं। “इसलिए यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है; पुरानी बातें बीत गईं, देखो, सब कुछ नया हो गया” (2 कुरिन्थियों 5:17)।

यह आत्मिक पुनरुत्थान हमें पाप से स्वतंत्रता देता है और हमें परमेश्वर के साथ एक नया जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है। हमारे जीवन में आत्मिक परिवर्तन पवित्र आत्मा के द्वारा संभव होता है, जो हमें नई दिशा और उद्देश्य देता है।

पवित्र आत्मा के द्वारा जीवन का नया उद्देश्य

जब पवित्र आत्मा हमारे भीतर निवास करता है, तो वह हमें केवल जीवन में दिशा नहीं दिखाता, बल्कि हमें आत्मिक जीवन के लिए तैयार भी करता है। पवित्र आत्मा हमें शुद्ध करता है, हमारे जीवन में परमेश्वर की इच्छा को प्रकट करता है, और हमें अनन्त जीवन की तैयारी में सहायता करता है। “क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की आत्मा नहीं, बल्कि सामर्थ्य, प्रेम, और संयम की आत्मा दी है” (2 तीमुथियुस 1:7)।

यह आत्मा हमें सांसारिक जीवन की परेशानियों से ऊपर उठकर आत्मिक जीवन को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसके द्वारा हमें परमेश्वर के अनुग्रह और प्रेम का अनुभव होता है, और हम उसकी महिमा के लिए जीने का नया उद्देश्य प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष

रोमियों 8:11 का संदेश हमें आत्मिक पुनरुत्थान, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य, और शारीरिक पुनरुत्थान की अद्भुत आशा प्रदान करता है। जिस प्रकार पवित्र आत्मा ने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वही आत्मा हमारे भीतर निवास करता है और हमें अनन्त जीवन की ओर अग्रसर करता है। यह वचन हमें यह आश्वासन देता है कि पवित्र आत्मा की शक्ति हमारे जीवन में न केवल आत्मिक परिवर्तन लाती है, बल्कि हमें भविष्य में अनन्तकालिक पुनरुत्थान और परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन का आशीर्वाद भी देती है।

हमारे जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति हमें आत्मिक यात्रा में साहस, मार्गदर्शन, और शक्ति प्रदान करती है। हमें अपने जीवन को इस आत्मिक सच्चाई के अनुसार जीना चाहिए, ताकि हम पवित्र आत्मा के द्वारा अपने नश्वर देहों के पुनरुत्थान और अनन्तकालिक जीवन के आशीर्वाद का अनुभव कर सकें।

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