Anant Jeevan Ka Margdarshan

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अनन्त जीवन का मार्गदर्शन

👉 जानें कैसे प्राप्त करें उद्धार 👇

बाइबल अनन्त जीवन की दिशा में एक स्पष्ट मार्ग दिखाती है। सबसे पहले, हमें यह समझना चाहिए कि हमने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है:
“इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं” (रोमियों 3:23)। हम सबने ऐसे कार्य किए हैं जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं और इसके लिए हमें सजा मिलनी चाहिए। क्योंकि हमारे सारे पाप एक अनन्त परमेश्वर के विरुद्ध हैं, इसलिए केवल एक अनन्तकालीन दण्ड ही पर्याप्त है।
“पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है” (रोमियों 6:23)।

यीशु मसीह का बलिदान

यीशु मसीह, जो पाप रहित था (1 पतरस 2:22), परमेश्वर का अनन्त पुत्र बनकर मनुष्य के रूप में आए (यूहन्ना 1:1, 14) और हमारे पापों का दण्ड चुकाने के लिए मरे।
“परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करता है, कि जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिए मरा” (रोमियों 5:8)। यीशु मसीह क्रूस पर मरे (यूहन्ना 19:31-42), उस दण्ड को उठाकर जो हमें मिलना चाहिए था (2 कुरिन्थियों 5:21)। तीन दिन बाद, वह मरे हुओं में से जी उठे (1 कुरिन्थियों 15:1-4), पाप और मृत्यु पर अपनी विजय को प्रमाणित करते हुए।
“जिसने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया” (1 पतरस 1:3)।

विश्वास और उद्धार

हमें मसीह के प्रति अपने मन को परिवर्तित करना चाहिए – कि वह कौन हैं, और उद्धार के लिए उन्होंने क्या और क्यों किया (प्रेरितों के काम 3:19)। यदि हम उनमें विश्वास रखते हैं, उनकी क्रूस पर हुई मृत्यु को अपने पापों के लिए मानते हैं, तो हमें क्षमा मिलेगी और स्वर्ग में अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त होगी।
“क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा, कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए” (यूहन्ना 3:16)।
“यदि तू अपने मुँह से ‘यीशु को प्रभु’ जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा” (रोमियों 10:9)।

सच्चा मार्ग

क्रूस पर यीशु के समाप्त किए गए कार्य पर विश्वास ही अनन्त जीवन का सच्चा मार्ग है!
“क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है – और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन्‌ परमेश्वर का दान है – और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमंड करे” (इफिसियों 2:8-9)।

प्रार्थना

यदि आप यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करना चाहते हैं, तो यहाँ एक सरल प्रार्थना है। याद रखें, इस प्रार्थना या किसी अन्य प्रार्थना को बोलना आपको उद्धार नहीं दे सकता है। केवल यीशु में विश्वास ही है जो आपको पाप से बचा सकता है। यह प्रार्थना आपके विश्वास को व्यक्त करने और परमेश्वर के उद्धार के प्रबन्ध के लिए धन्यवाद देने का एक तरीका है।

“हे परमेश्वर, मैं जानता हूँ कि मैंने आपके विरुद्ध पाप किया है और मैं सजा का पात्र हूँ। परंतु यीशु मसीह ने उस सजा को स्वयं पर ले लिया जिसके योग्य मैं था ताकि उनमें विश्वास करने के द्वारा मैं क्षमा किया जा सकूं। मैं उद्धार के लिए आप में विश्वास रखता हूँ। आपके अद्भुत अनुग्रह और क्षमा के लिए धन्यवाद – जो अनन्त जीवन का उपहार है। आमीन।”

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